AI से चुनौतियां व आगे की राह (Current affairs)
चुनौतियाँ • AISI दिशा-निर्देशों की स्वैच्छिक प्रकृतिः प्रस्तावित AISI मॉडल को स्व-नियमन के समान माना जा रहा है क्योंकि AI सिस्टम को लागू करने वाली कंपनियाँ यह तय कर सकती हैं किये मानक उनके लिए काम करते हैं या नहीं। चूंकि निजी क्षेत्र जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होता हैं, इसलिए AI विकास लोकतांत्रिक जाँच को दरकिनार कर सकता है और बहिष्कारपूर्ण और शोषणकारी बन सकता है। • विनियामक का अभावः भारत में वर्तमान में AI के लिए कोई विनियामक नहीं है। हितधारकों द्वारा AISI के लिए स्पष्ट विनियामक भूमिका को अस्वीकार करने के कारण, यह कमी बनी हुई है। • नौकरशाहीकरणः इसके विपरीत, कुछ क्षेत्रों से यह चिंता व्यक्त की जा रही है कि AISI प्रशासनिक अतिक्रमण का एक और साधन बन सकता है, जिससे नियमों और विनियमों के साथ AI परिदृश्य पर अत्यधिक बोझ पड़ सकता है। • कमजोर डिजिटल बुनियादी ढाँचाः उद्योग जगत के लीडरों का लेकिन उसके पास डिजिटल बुनियादी ढाँचे का अभाव है जो AI कहना है कि भारत के पास पैमाना, डेटा और प्रतिभा तो है, की विशाल कम्प्यूटेशनल मांगों को पूरा कर सके। आगे की राह भारत के AISI •प्रासंगिक...