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Current affairs 2024:- भारत में सहकारी समितियों की स्थिति कैसी हैं

 भारत में सहकारी समितियों की स्थिति • 97वें संविधान संशोधन अधिनियम 2011 के माध्यम से सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा और संरक्षण प्रदान किया गया। अनुच्छेद 19(1) (c) सह‌कारी समितियों के गठन का मौलिक अधिकार प्रदान करता है। ●सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करने के लिए संविधान के राज्य के नीति-निर्देशक तत्व वाले भाग IV में अनुच्छेद 43B को शामिल किया गया। ●सहकारी समितियों के निगमन, विनियमन और समापन के प्रावधानों के साथ भाग IXB में 'सहकारी समितियाँ को शामिल किया गया था। ●भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (NCUI) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) भारत में सहकारी संगठनों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ●भारत में सहकारी समितियों की कार्यप्रणाली निस्रलिखित कानूनों द्वारा विनियमित होते हैं: • अलग-अलग राज्यों हेतु राज्य सहकारी समिति अधिनियम। • एक से अधिक राज्यों में संचालित बहु-राज्य सहकारी समितियों के विनियमन के लिए बहुराज्य सहकारी सोसाइ‌टी अधिनियम, 2002 ।

Current affairs 2024 :- सहकारी समितियाँ (Cooperative Societies)

 सहकारी समितियाँ (Cooperative Societies) संदर्भ हाल ही में, मद्रास उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि सहकारी समितियाँ सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के दायरे में नहीं आती हैं। सहकारी समिति सहकारी समिति व्यक्तियों द्वारा मिलकर काम करने तथा आपसी सहयोग के माध्यम से अपने आर्थिक हितों को आगे बढ़ाने हेतु गठित एक स्वैच्छिक समूह है। इसमें समाज के सदस्य सामूहिक लाभ के उद्देश्य से संसाधनों को एकलित करते हैं तथा यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी को लाभ प्राप्त हो। पृष्ठभूमि माधनम प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण सोसायटी' (Madhanam Primary Agriculture Cooperative Credit Society) के एक सदस्य ने यह साबित करने हेतु सूचना माँगी थी कि सोसायटी ने जाली संपत्ति दस्तावेजों के आधार पर बड़ी संख्या में फसल ऋण प्रदान किए थे तथा बाद में राज्य सरकार द्वारा गरीब किसानों की सहायता प्रदान करने हेतु लिए गए निर्णयों के आधार पर उन ऋणों को माफ कर दिया था। • संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने आरटीआई अधिनियम के तहत तमिलनाडु सूचना आयोग में अपील दायर की। • मई, 2022 में, तमिलनाडु सूचना आयोग (TNIC) ने अपने निर्णय में सहका...

Current affairs:- नोटा (NOTA) नोटा क्या हैं।

NOTA Full Form :- None of The Above  सन्दर्भ   हाल ही में इंदौर लोकसभा क्षेत्र में NOTA को 2 लाख के अधिक वोट प्राप्त हुये। अन्य संबंधित जानकारी • किसी भी निर्वाचन क्षेल में अब तक "NOTA" विकल्प को सबसे अधिक वोट इंदौर लोकसभा क्षेत्र मे मिले हैं। • पिछला NOTA रिकॉर्ड 2019 में गोपालगंज, बिहार का • था, जब 51,660 मतदाताओं ने NOTA के लिए वोट दिया था।  NOTA कब और क्यों शुरू किया गया ? • सितंबर 2013 में भारतीय चुनाव आयोग को NOTA विकल्प शुरू करने का निर्देश दिया था। ●2004 में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मतदाताओं के मताधिकार के प्रयोग के 'गोपनीयता के अधिकार' की रक्षा के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की थी। ☆उन्होंने तर्क दिया कि निर्वाचन संचालन नियम, 1961 गोपनीयता के पहलू का उल्लंघन करता है, क्योंकि पीठासीन अधिकारी उन मतदाताओं का रिकॉर्ड रखता है जो मतदान करना नहीं चाहते हैं, साथ ही इस अधिकार का प्रयोग करने वाले प्रत्येक मतदाता के हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान भी रखता है। • केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि मतदान का अधिकार ...

लिविंग विल(Living Will): मुद्दे की पृष्ठभूमि

 वर्ष 2018 में उच्चतम न्यायालय ने कॉमन कॉज बनाम भारत राध मामले में। निष्क्रिय इच्छामृत्यु को कानूनी बना दिया, लेकिन विशिष्ट शर्तों के तहत:           ▪︎ यदि व्यक्ति बाद में स्वयं निर्णय नहीं ले सकता है तो उसके             पास एक "लिविंग विल" होना आवश्यक है, जो एक                     लिखित दस्तावेज है जिसमे उसकी चिकित्सा संबंधी                     प्राथमिकताएं  अंकित होती है। इस निर्णय से, असाध्य बीमारी से ग्रस्त रोगियों जो स्थायी रूप से निष्क्रिय अवस्था में जा सकते हैं को लिविंग विल बनाने की मान्यता मिल गई। वर्ष 2023 में उच्चतम न्यायालय ने न्यायिक दंशाधिकारियों की भागीदारी को हटाकर इच्छामृत्यु की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अपने फैसले को संशोधित किया।            ▪︎ये दिशानिर्देश तब तक लागू रहेगे जब तक संसद इस                  ...

लिविंग विल (Living Will):सम्मानजनक मृत्यु के लिए दस्तावेज और इसकी प्रक्रिया

 लिविंग विल (Living Will) संदर्भ में  हाल ही में, बॉम्बे उच्च न्यायालय की गोवा पीठ में कार्यरत न्यायमूर्ति एम.एस. सोनक गोवा में "लिविंग विल" (जीवन वसीयत) पंजीकृत करने वाले पहले व्यक्ति बने। लिविंग विल क्या है? • लिविंग विल एक कानूनी दस्तावेज है जिसे व्यक्ति अपने जीवित रहते हुए बना सकता है, जिसमें वह भविष्य में गभीर रूप से बीमार होने पर चिकित्सा उपचार के लिए अपनी प्राथमिकताओं को रेखांकित करता है।  इसमें किसी के जीवित रहते या मृत्यु के बाद संपत्ति का निपटान शामिल नहीं होता है। ☆ यह अंतिम वसीयतनामा से भिन्न है जो कि व्यक्तियों की अपनी संपत्ति के संबंध में उनके इरादे की एक औपचारिक, कानूनी घोषणा है जिसे वे अपनी मृत्यु के बाद लागू कराना चाहते हैं। ☆ यह दस्तावेज़ उस स्थिति में प्रासंगिक हो जाता है जब व्यक्ति निष्क्रिय अवस्था (Vegetative state) में हो और चिकित्सा देखभाल के संबंध में अपनी इच्छा बताने में असमर्थ हो। ☆ निष्क्रिय अवस्था में व्यक्ति जागा तो रहता है, लेकिन उसमें जागरूकता के कोई लक्षण नहीं दिखते। • मूलतः एक लिविंग विल व्यक्ति को यह सुनिश्चित करने का अधिकार देती है कि यद...

कोशिका क्या हैं, कोशिका की खोज सबसे पहले किसने किया?

 कोशिका (Cell) • कोशिका का अध्ययन 'साइटोलॉजी' Cytology कहलाता है। • कोशिका प्रत्येक जीवधारी की संरचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई है।  प्रत्येक जीवधारी का शरीर कोशिका से मिलकर बना है। • सर्वप्रथम कोशिका की खोज 1665 ई. में राबर्ट हुक ने किया। किंतु इन्होंने मृत कोशिका की खोज की थी। इन्हें Father of Cytology कहते हैं। • मृत कोशिकाओं (Dead Cell) को नेक्रोसिस (Necrosis) कहते हैं। • रॉबर्ट ब्राउन ने अपनी कोशिका संबंधित खोजो का वर्णन माइक्रोग्राफिया (Micrographin) पुस्तक में किया है। सर्वप्रथम जीवित कोशिका की खोज 1674 ई. में एन्टोनी वॉन ल्यूवेनहॉक ने किया। इन्हें Father of Bacteriology कहते हैं। • इनके द्वारा खोजी गई कोशिकाएं जीवाणु (Bacteria), RBC, Protozoa, Sperm (शुक्राणु) • स्लाइडेन एवं श्वान ने कोशिका सिद्धांत दिया और कहा कि शरीर कोशिकाओं से बना है अतः कोशिका शरीर की सबसे छोटी इकाई है।  आधुनिक कोशिका विज्ञान के पिता Swanson को कहा जाता है। • ल्यूवेनहॉक की पुस्तक का नाम Secrets of Nature है। इन्होंने Cell नामक पुस्तक लिखी। • भारतीय कोशिका विज्ञान के पिता A.K. Sharina को कहा जात...

आरक्षण से संबंधित संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?

 आरक्षण से संबंधित संवैधानिक प्रावधान अनुच्छेद 16(4): यह सुनिश्चित करता है कि राज्य नागरिकों के किसी पिछड़े वर्ग के पक्ष (जिसका राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है) में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिए कोई प्रावधान कर सकता है। अनुच्छेद 16(4A): यह राज्य को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सरकारी सेवाओं में पदोन्नति के मामलों में आरक्षण के साथ-साथ "परिणामी वरिष्ठता" का प्रावधान करने की अनुमति देता है, यदि राज्य के अधीन सेवाओं में उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। अनुच्छेद 335: राज्य अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के लिए संघ या राज्य सेवाओं के अंतर्गत किसी वर्ग या पदों पर नियुक्ति या पदोन्नति में आरक्षण के लिए अर्हक अंकों में छूट देने या मूल्यांकन मानकों को कम करने का प्रावधान कर सकता है

पदोन्नति में आरक्षण : प्रभाव , चुनौतियां और सामाजिक निहितार्थ

पदोन्नति में आरक्षण  • सामाजिक न्याय और समानता ☆ बेहतर प्रतिनिधित्वः पदोन्नति में आरक्षण यह सुनिश्चित करता है कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को सामाजिक बाधाओं को तोड़ने एवं नेतृत्वकारी भूमिका हासिल करने तथा निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को प्रभावित करने का अवसर मिले। ☆ ऐतिहासिक असमानताओं में कमी:  इसका उद्देश्य अधिक समावेशी कार्य स्थिति बनाना है जो हाशिए पर स्थित समुदाय के व्यक्तियों को बढ़ावा देकर विविधता को महत्व देता है।  ●कार्यबल की गतिशीलता और मनोबल: • प्रेरणा और मनोबलः वे नीतियां आरक्षित श्रेणियों के कर्मचारियों को प्रेरित कर सकती है, क्योंकि उन्हें पता होता है कि उनकी उन्नति के लिए समर्थन व्यवस्था है, जिससे उनका मनोबल बढ़ता है।  • संभावित टकरावः हालांकि, इससे कर्मचारियों के बीच टकराव भी पैदा हो सकता है, खासकर यदि गैर-आरक्षित श्रेणी के कर्मचारी इन नीतियों को योग्यता से समझौता करने वाली नीति के रूप में देखते हैं। प्रशासनिक दक्षता और चुनौतियाँ ☆ दक्षता और समानता में संतुलनः उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण नीतियों के क्रियान्वयन के साथ-साथ प्रशासनिक दक्षता बना...

भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन और उनकी व्यापारिक स्थापना

  भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन  ब्रिटिश (British) ●ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना 1600 ई. में एक निजी कम्पनी के रूप में हुई थी, जिसे 15 वर्षों के लिए व्यापारिक एकाधिकार मिला था। इस एकाधिकार को समय-समय पर बड़ाया जाता रहा, साथ ही साथ इस पर निरंतर ब्रिटिश सरकार का हस्तक्षेप भी बड़ता रहा। ●कम्पनी के संचालन हेतु एक प्रबंधकीय समिति थी जिसमें एक निर्देशक, एक उपनिदेशक तथा 24 सदस्य होते थे। इन सबका चुनाव व्यापारियों को आम सभा द्वारा होता था। आगमन का उद्देश्य ●इस कम्पनी की स्थापना का उद्देश्य ब्रिटिश व्यापारियों के व्यापारिक हितों के हिसाब से अधिकाधिक लाभ की प्राप्ति करना था। व्यापारिक मदों में मुख्यतः ममाले थे पर जल्दी ही इसमें वस्त्र तथा अन्य उपयोगी वस्तुएँ शामिल हो गई. पान्तु आरम्भिक वर्षों में व्यापार का सन्तुलन भारत के हो पक्ष में रहा। ●अंग्रेजों ने 1608 ई . में सर्वप्रथम सुरत में व्यापारिक फैक्ट्री की स्थापना का प्रयास किया, जिसके लिए तत्कालीन ब्रिटिश सम्राट 'जेम्स प्रथम' ने अपने दूत विलियम हॉकिस को जहाँगीर के दरबार में अनुमति हेतु भेजा था।  ●विलियम हॉ...

भारत में डच व्यापारियों का आगमन और व्यापार

 भारत में डचों का आगमन डच(Dutch) ●भारत में आने वाले यूरोपीय पारियों में पुर्तगालियों के पश्चात् चों का आगमन हुआ। 1581 ई. में हचों पर में स्पेन का प्रभाव समाप्त होने के पश्चात हवों में ●अपनी परिस्थितियों के अनुरूप अपनी वाणिज्यवारी नीति का प्रतिपादन किया और उसका प्रसार किया। इन प्राथमिक रूप से इंडोनेशिया में केन्द्रित में तथा मसालों के व्यापार में संलग्न थे। ●जब भारत के साथ इनका सम्पर्क चना तब इन्होंने अपने व्यापार में सूती वश्व के व्यापार को भी शामिल किया जिससे इन्हें अत्यधिक लाभ मिला।  ●हचर्चा की पहली फैक्ट्री 1605 ई. में पूर्वी तट पर मसूलीपट्टनम स्थापित हुई इन्होंने ' पुलिकट ' को अपना मुख्यालय बनाया, परन्तु आगे चलकर ' नागपटट्नम् को मुख्यालय बना दिया। इनकी अधिकांश फैक्ट्रियां पूर्वी तट पर थों क्योंकि ये इंडोनेशिया से भी जुड़े थे।।  ●7वीं सदी में जब व्यापारिक प्रतिस्पर्धा की वृद्धि हुई तो डचों को ब्रिटेन में कड़ी प्रतिस्पर्धा मिली और नौसैनिक दृष्टि से कमजोर होने के कारण 1759 ई. में बेदरा की लड़ाई में आग्रेजों में इन्हें पराजय ●मिली तत्पश्चात् ये सिर्फ एक व्यापारिक समूह ...

पदोन्नति में आरक्षण: इंदिरा साहनी से जरनैल सिंह तक के प्रमुख न्यायिक फैसले। पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित मामलें। Current affairs 2024

 पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित मामलें पदोन्नति में आरक्षण: इंदिरा साहनी से जरनैल सिंह तक के प्रमुख न्यायिक फैसले इंद्रा साहनीनिर्णय (1992) ●उच्चतम न्यायालय की 9 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया कि संविधान का अनुच्छेद 16(4) जो नियुक्तियों में आरक्षण की अनुमति देता है, लेकिन पदोन्नति में आरक्षण की अनुमत्ति नहीं देता है। 77वाँ संशोधन अधिनियम (1995) ● वर्ष 1995 में सरकार ने 77वाँ संशोधन पारित करके इंद्रा साहनी के निर्णय को रद्द कर दिया। इसमें अनुच्छेद 16 (4A) जोड़ा गया, जिससे राज्यों को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कर्मचारियों के लिए पदोन्नति के मामले में आरक्षण (यदि उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है) देने की अनुमति मिल गई। अजीत सिंह बनाम पंजाब राज्य (1996) ●पदोन्नति के कारण उत्पन्न विसंगतियों को दूर करना, जिनके कारण आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों से वरिष्ठ हो जाते हैं। ●इस विसंगति को दो निर्णयों वीरपाल सिंह (1995) और अजीत सिंह (1996) द्वारा दूर किया गया, जिसमें कैच-अप नियम की अवधारणा पेश की गई। ●नियम के अनुसार, जिन वरिष्ठ सामान्य अभ्यर्थियों को...

पुर्तगाली :-भारत में पुर्तगाली उपनिवेशवाद और व्यापार

 पुर्तगाली (Portuguese) भारत में पुर्तगाली उपनिवेशवाद और व्यापार   वास्कोडिगामा भारत आगमन  लिस्बन भारतीय मसाले  भारत में पुर्तगाली फैक्ट्री  कोचीन में पुर्तगाली फैक्ट्री  फ्रांसिस डी अलमेडा  नीले पानी की नीति    गोवा में पुर्तगाली मुख्यालय  भारत में पुर्तगाली गवर्नर  गुजरात पुर्तगाल संघर्ष  पुर्तगाली साम्राज्य भारत  गोवा में पुर्तगाली शासन  भौगोलिक खोज और भारत ●भारत में आने वाले यूरोपीय व्यापारियों में पुर्तगाली प्रथम थे जो 15वीं सदी में (भौगोलिक खोजों के संदर्भ में) वास्कोडिगामा के नेतृत्व में पहुँचे। ●वास्कोडिगामा को यहाँ के व्यापार से (मसाला आदि) लगभग 60 गुना अधिक फायदा हुआ। तत्पश्चात् 'लिस्बन' यूरोप में भारतीय वस्तुओं के व्यापार केन्द्र के रूप में उभरा। ●पुर्तगाली व्यापारियों का मुख्य उद्देश्य भारतीय मसालों का व्यापार था जिसकी यूरोपीय परिवेश में चहुत माँग थी। पुर्तगालियों ने 1503 ई. में पहली फैक्ट्री 'कोचीन' में लगाई जिसका विस्तार विभिन्न 'पुर्तगाली गवर्नरों के समय हुआ।  ●प्रथम पुर्तगाली गवर्नर फ्रा...

भारत में यूरोपीय कम्पनियों का आगमन कैसे हुआ? , 15वीं-19वीं शताब्दी में भारतीय व्यापार या भारत में यूरोपीय कम्पनियां।

 भारत में यूरोपीय कम्पनियों का आगमन (Arrival of European Companies) ●15वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी के मध्य यूरोप में अप्रत्याशित आर्थिक बदलाव हुए। इस समयावधि में कृषि एवं विशेष रूप से विनिर्माण के क्षेत्र में अपनाई गई प्रौद्योगिकी के आधार पर व्यापार एवं वाणिज्य में तीव्र वृद्धि हुई। ये बदलाव यूरोप में तब शुरू हुए, जब यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियाँ नए विकल्पों की खोज में निकली।  ●यूरोपीय देशों ग्रीस तथा रोम के साथ भारत के व्यापारिक संबंध बहुत पहले से रहे है। मध्यकाल में यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भारत का व्यापार अनेक मार्गों से चलता था। एशिया का माल यूरोप तक पहुँचने से पहले अनेक राज्यों और हाथों से गुजरता था। फिर भी यह व्यापार बहुत लाभदायक होता था। ●एशिया में इस व्यापार का अधिकांश भाग अरब व्यापारियों द्वारा चलाया जाता था, तथा इसके भूमध्यसागरीय और यूरोपीय भाग पर इटली का लगभग एकाधिकार था।  ●यूरोपीय शक्तियों में भारत में सबसे पहले पुर्तगाली कंपनी ने प्रवेश किया। 17 मई. 1498 में पुर्तगाली व्यापारी वास्कोडिगामा ने भारत के पश्चिमी तट पर अवस्थित बंदरगाह कालीकट पर पहुंचकर भार...

बिहार में आरक्षण (Reservation in Bihar) ,आरक्षण के फायदे

 बिहार में आरक्षण (Reservation in Bihar) संदर्भ में  हाल ही में, पटना उच्च न्यायालय ने सरकारी पदों और शैक्षणिक संस्थानों में अनुसूचित जातियों, जनजातियों, पिछड़े और अत्यंत पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण 50% की सीमा से बढ़ाकर 65% करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया। बिहार सरकार के कोटा बढ़ाने संबंधी विधेयक के बारे में • नवंबर 2023 में, बिहार विधानसभा ने सर्वसम्मति से विभिन्नसमूहों के लिए आरक्षण बढ़ाने वाला विधेयक पारित किया।  • बिहार आरक्षण संशोधन विधेयक के नाम से जाना जाने वाले इस नए कानून ने आरक्षण कोटा को निम्न प्रकार से बढ़ायाः   ☆अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC): 18% से बढ़ाकर 25%। ☆पिछड़ा वर्ग (BC): 12% से बढ़ाकर 18% ☆अनुसूचित जाति (SC): 16% से बढ़ाकर 20% किया गया।  ☆अनुसूचित जनजाति (ST): 1% से बढ़ाकर 2% किया गया। ☆ पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए पूर्व में निर्धारित 3% आरक्षण हटा दिया गया। ☆ राज्य सरकार ने दावा किया कि आरक्षण में वृद्धि उसके द्वारा किए गए जाति सर्वेक्षण के अनुसार थी, जिसकी रिपोर्ट 02.10.2023 को प्रकाशित हुई थी। • यह इंदिरा साहनी बनाम भारत ...

18वीं लोकसभा (current affairs 2024)

 18वीं लोकसभा  •18वीं लोकसभा के सदस्यों का विवरण: • नवनिर्वाचित सांसदों में से 52% सांसद पहली बार लोकसभा में चुनकर आए हैं। ☆ 18वीं लोकसभा के लिए चुने गए 262 सांसद पहले भी लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। इसके अलावा 16 सांसद राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। दो सांसद सात बार लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। • निर्वाचित सांसदों की औसत आयु: ☆ भारत को विश्व के सबसे युवा देशों में से एक माना जाता है, लेकिन इसकी लोकसभा मे निर्वाचित सदस्यों की औसत आयु बढ़ती जा रही है। लोकसभा में 35 वर्ष या उससे कम आयु के सांसदों की संख्या तेजी से घट रही है। पहली लोकसभा में यह संख्या 82 थी (जो अब तक की सबसे अधिक है), जबकि वर्तमान 18वीं लोकसभा में यह 25 है (17वीं लोकसभा में यह 21 थी)। ☆साथ ही, 18वीं लोकसभा में चुने गए सांसदों की औसत आयु बढ़कर 56 वर्ष हो गई है (जो अब तक की सबसे अधिक है), 17वीं लोकसभा में यह 55 वर्ष थी। पहली लोकसभा में औसत आयु 46.5 वर्ष थी। हालांकि, 8वीं लोकसभा के बाद से, 12वीं लोकसभा (1998) को छोड़कर, औसत आयु 50 वर्ष से अधिक रही है। •महिला सांसद प्रतिनिधित्व: ☆18वीं लोकसभा में 74 सांसद (14%) महिला...

विशेष श्रेणी राज्य के दर्जे का क्या लाभ होता हैं।

 विशेष श्रेणी राज्य के दर्जे का लाभ •गॉडगिल-मुखर्जी फॉर्मूला: SCS राज्यों को पहले इस फॉर्मूले के आधार पर राज्यों के लिए कुल केंद्रीय सहायता का लगभग 30% आवंटित किया जाता था। •14वाँ वित्त आयोग: योजना आयोग की समाप्ति के बाद तथा 14वें और 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसरण में, अनुसूचित जातियों के राज्यों को केन्द्रीय योजना सहायता को सभी राज्यों को विभाज्य पूल निधि के बढ़े हुए हस्तांतरण में सम्मिलित कर दिया गया, जिसे 32% से बढ़ाकर 42% कर दिया गया। •केंद्र-राज्य वित्त पोषण अनुपात: इसके अतिरिक्त, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए वितपोषण का अनुपात सामान्य श्रेणी के राज्यों के लिए 60:40 या 80:20 है, जबकि SCS राज्यों के लिए यह वित्त पोषण अनुपात 90: 10 होता है। •अन्य प्रोत्साहन: नए उद्योग स्थापित करने के लिए निवेश आकर्षित करने हेतु सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क, आयकर दरों और कॉर्पोरेट (निगम) कर दरों में रियायत के रूप में SCS राज्यों को कई अन्य प्रोत्साहन उपलब्ध है।

Current affairs 2024: आखिर क्यूँ आंध्र प्रदेश SCS की माँग की

 आंध्र प्रदेश की SCS की माँग के कारण • विभाजन के लिए मुआवज़ाः  2014 में अविभाजित आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद आंध्रप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के माध्यम तेलंगाना का गठन हुआ। तत्कालीन केंद्र सरकार ने राजस्व के नुकसान और विकास के केंद्र हैदराबाद शहर की भरपाई के लिए आंध्र प्रदेश को SCS देने का वादा किया था। •राजस्व अनुमानों में विसंगतियांः  नीति आयोग के समक्ष आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए प्रस्तुतीकरण से राजस्व घाटे के अनुमानों में विसंगतियां सामने आईं। 2015-20 की अवधि के लिए वास्तविक राजस्व घाटा 14वें वित्त आयोग द्वारा आरंभिक अनुमान से काफी अधिक था। •असमान विभाजनः  आंध्र प्रदेश का तर्क है कि विभाजन अन्यायपूर्ण और असमान था, जिसमें उत्तराधिकारी राज्य को मूल राज्य की लगभग 59% जनसंख्या, ऋण और देनदारियां विरासत में मिलीं, लेकिन राजस्व का केवल 47% ही प्राप्त हुआ। •आर्थिक असमानताः  आंध्र प्रदेश मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है, जिसकी आर्थिक स्थिति तेलंगाना की तुलना में कम मजबूत है, जिसके कारण दोनों क्षेत्रों के बीच राजस्व में काफी असमानता है।

Current affairs 2024:बिहार की "विशेष श्रेणी के दर्जे की माँग के कारण

 बिहार की "विशेष श्रेणी के दर्जे की माँग के कारण • गरीबी और पिछड़ापनः  बिहार की गरीबी और पिछड़ापन के लिए प्राकृक्तिक संसाधनों की कमी, सिंचाई के लिए अपर्याप्त जल आपूर्ति, राज्य के उत्तरी भाग में लगातार बाढ़ और दक्षिणी भाग में गंभीर सूखे जैसे कारक जिम्मेदार हैं।  .राज्य विभाजन का प्रभावः  राज्य के विभाजन के परिणामस्वरूप उद्योग झारखंड चले गए, जिससे बिहार में रोजगार और निवेश के अवसरों में कमी आई। .आर्थिक संकेतकः  वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए बिहार का प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद ₹31,280 था, जो भारत में सबसे कम में से एक है। गरीबी का स्तरः  राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)- 5 के अनुसार, बिहार भारत का सबसे गरीब राज्य है, जिसकी 33.76% आबादी बहुआयामी गरीबी में रहती है। राज्य सरकार का संकल्पः  नवंबर 2023 में, बिहार मंत्रिमंडल नेएक प्रस्ताव/संकल्प पारित कर केंद्र सरकार से बिहार को विशेत राज्य का दर्जा देने का अनुरोध किया, जिससे सरकार को अगले राज्य क्यों में विभिन्न कल्याणकारी उपायों के वित्तपोषण के लिए आवश्यक अतिरिक्त 2.5 लाख करोड़ रुपये प्रा...

Current affairs 2024: SCS की वर्तमान स्थिति

 Current affairs 2024 SCS की वर्तमान स्थिति • वर्तमान में भारत के 11 राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों को SCS का दर्जा प्राप्त है, जिनमें संपूर्ण पूर्वोत्तर और सीमावर्ती पहाड़ी राज्य जम्मू और कश्मीर (अब एक केंद्र शासित प्रदेश), हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं। • पिछले दशक में कई अन्य राज्यों ने भी SCS की मांग की है,जैसे- बिहार, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, आदि। ** ओडिशा चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता तथा अधिक जनजातीय आबादी, जो इसकी कुल जनसंख्या का लगभग 22% है, के आधार पर SCS की माँग करता रहा है।** • 14वें वित्त आयोग ने पूर्वोत्तर और तीन पहाड़ी राज्यों को छोड़करअन्य राज्यों के लिए 'विशेष श्रेणी का दर्जा' का 'भेद समाप्त कर दिया। • 14 वें वित्त आयोग ने केंद्र को कर हस्तांतरण में राज्यों की हिस्सेदारी 32% से बढ़ाकर 42% करने की सिफारिश, जो कि 2015 से लागू है।  • 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट की सिफारिशों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग को बार-बार अस्वीकार किया है।

विशेष श्रेणी का दर्जा (Special Category Status)

 Current affairs 2024 विशेष श्रेणी का दर्जा (Special Category Status) संदर्भ 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद गठबंधन सरकार के गठन ने बिहार और आंध्र प्रदेश राज्यों के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग फिर से तेज़ हो गई है। विशेष श्रेणी का दर्जा क्या होता है? • यद्यपि संविधान में किसी भी राज्य को "विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त राज्य" के रूप में वर्गीकृत करने का प्रावधान नहीं है, फिर भी केंद्र सरकार ने इस तथ्य पर विचार करते हुए इस वर्गीकरण का सहारा लिया कि कुछ राज्य अन्य की तुलना में ऐतिहासिक रूप से पिछड़े हैं। • "विशेष श्रेणी के राज्य" की अवधारणा पहली बार 1969 में पेश की गई थी, जब पाँचवें वित्त आयोग (1969-74) ने कुछ पिछड़े राज्यों को उनके विकास को तीव्र गति देने के लिए केंद्रीय सहायता और कर छूट के रूप में तरजीही व्यवहार प्रदान करने की मांग की थी। • SCS के विचार को तब औपचारिक रूप दिया गया जब राष्ट्रीयविकास परिषद (NDC) ने अप्रैल 1969 में निधि आवंटन के गोंडगिल फॉर्मूले को मंजूरी दी। • प्रारंभ में 1969 में तीन राज्यों असम, नागालैंड और जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया ...