भारत में यूरोपीय कम्पनियों का आगमन कैसे हुआ? , 15वीं-19वीं शताब्दी में भारतीय व्यापार या भारत में यूरोपीय कम्पनियां।
भारत में यूरोपीय कम्पनियों का आगमन (Arrival of European Companies)
●15वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी के मध्य यूरोप में अप्रत्याशित आर्थिक बदलाव हुए। इस समयावधि में कृषि एवं विशेष रूप से विनिर्माण के क्षेत्र में अपनाई गई प्रौद्योगिकी के आधार पर व्यापार एवं वाणिज्य में तीव्र वृद्धि हुई। ये बदलाव यूरोप में तब शुरू हुए, जब यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियाँ नए विकल्पों की खोज में निकली।
●यूरोपीय देशों ग्रीस तथा रोम के साथ भारत के व्यापारिक संबंध बहुत पहले से रहे है। मध्यकाल में यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भारत का व्यापार अनेक मार्गों से चलता था। एशिया का माल यूरोप तक पहुँचने से पहले अनेक राज्यों और हाथों से गुजरता था। फिर भी यह व्यापार बहुत लाभदायक होता था।
●एशिया में इस व्यापार का अधिकांश भाग अरब व्यापारियों द्वारा चलाया जाता था, तथा इसके भूमध्यसागरीय और यूरोपीय भाग पर इटली का लगभग एकाधिकार था।
●यूरोपीय शक्तियों में भारत में सबसे पहले पुर्तगाली कंपनी ने प्रवेश किया। 17 मई. 1498 में पुर्तगाली व्यापारी वास्कोडिगामा ने भारत के पश्चिमी तट पर अवस्थित बंदरगाह कालीकट पर पहुंचकर भारत के लिए नए समुद्री मार्ग की खोज की।
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