पुर्तगाली :-भारत में पुर्तगाली उपनिवेशवाद और व्यापार
पुर्तगाली (Portuguese)
भारत में पुर्तगाली उपनिवेशवाद और व्यापार
वास्कोडिगामा भारत आगमन
लिस्बन भारतीय मसाले
भारत में पुर्तगाली फैक्ट्री
कोचीन में पुर्तगाली फैक्ट्री
फ्रांसिस डी अलमेडा
नीले पानी की नीति
गोवा में पुर्तगाली मुख्यालय
भारत में पुर्तगाली गवर्नर
गुजरात पुर्तगाल संघर्ष
पुर्तगाली साम्राज्य भारत
गोवा में पुर्तगाली शासन
भौगोलिक खोज और भारत
●भारत में आने वाले यूरोपीय व्यापारियों में पुर्तगाली प्रथम थे जो 15वीं सदी में (भौगोलिक खोजों के संदर्भ में) वास्कोडिगामा के नेतृत्व में पहुँचे।
●वास्कोडिगामा को यहाँ के व्यापार से (मसाला आदि) लगभग 60 गुना अधिक फायदा हुआ। तत्पश्चात् 'लिस्बन' यूरोप में भारतीय वस्तुओं के व्यापार केन्द्र के रूप में उभरा।
●पुर्तगाली व्यापारियों का मुख्य उद्देश्य भारतीय मसालों का व्यापार था जिसकी यूरोपीय परिवेश में चहुत माँग थी। पुर्तगालियों ने 1503 ई. में पहली फैक्ट्री 'कोचीन' में लगाई जिसका विस्तार विभिन्न 'पुर्तगाली गवर्नरों के समय हुआ।
●प्रथम पुर्तगाली गवर्नर फ्रांसिस डी अल्मेडा (1505-09 ई.) ने नीले पानी की नीति, चलाई जिसका उद्देश्य हिन्द महासागर के क्षेत्र से होने वाले व्यापार पर नियंत्रण करना था। इसमें काटेंज व्यवस्था के तहत परमिट प्रणाली लागू की गई। इस प्रकार पुर्तगालियों के समय से ही अधिकाधिक आर्थिक व्यापारिक लाभ हेतु क्षेत्रीय प्रभाव स्थापित करने की कोशिश होती रही।
●पुर्तगाली गवर्नर अल्बुकर्क (1509-15 ई.) को पुर्तगाली व्यापारिक साम्राज्य का वास्तविक सस्थापक माना जाता है क्योंकि इसने उसे व्यवस्थित रूप से संगठित किया और कोचीन को मुख्यालय बनाया।
●1510 ई. में बीजापुर से गोवा को छीना जो व्यापारिक दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण था। गवर्नर मीनो डी. कुन्हा (1529-38 ई.) ने मुख्यालय को कोचीन की जगह गोवा में स्थानांतरित किया। व्यापारिक हितों के कारण ही गुजरात राज्य के साथ पुर्तगालियों ने लम्बे समय तक संघर्ष किया।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें