भारत में डच व्यापारियों का आगमन और व्यापार

 भारत में डचों का आगमन

डच(Dutch)

●भारत में आने वाले यूरोपीय पारियों में पुर्तगालियों के पश्चात् चों का आगमन हुआ। 1581 ई. में हचों पर में स्पेन का प्रभाव समाप्त होने के पश्चात हवों में


●अपनी परिस्थितियों के अनुरूप अपनी वाणिज्यवारी नीति का प्रतिपादन किया और उसका प्रसार किया। इन प्राथमिक रूप से इंडोनेशिया में केन्द्रित में तथा मसालों के व्यापार में संलग्न थे।

●जब भारत के साथ इनका सम्पर्क चना तब इन्होंने अपने व्यापार में सूती वश्व के व्यापार को भी शामिल किया जिससे इन्हें अत्यधिक लाभ मिला। 

●हचर्चा की पहली फैक्ट्री 1605 ई. में पूर्वी तट पर मसूलीपट्टनम स्थापित हुई इन्होंने 'पुलिकट' को अपना मुख्यालय बनाया, परन्तु आगे चलकर 'नागपटट्नम् को मुख्यालय बना दिया। इनकी अधिकांश फैक्ट्रियां पूर्वी तट पर थों क्योंकि ये इंडोनेशिया से भी जुड़े थे।। 

●7वीं सदी में जब व्यापारिक प्रतिस्पर्धा की वृद्धि हुई तो डचों को ब्रिटेन में कड़ी प्रतिस्पर्धा मिली और नौसैनिक दृष्टि से कमजोर होने के कारण 1759 ई. में बेदरा की लड़ाई में आग्रेजों में इन्हें पराजय


●मिली तत्पश्चात् ये सिर्फ एक व्यापारिक समूह बन कर रह गये। भारत के पूर्वी भाग, पूर्वी तटीय क्षेत्र और पश्चिमी तट पर डचों ने अपनी फैक्ट्रियों स्थापित की।


●1605 में ममूलीपट्टनम्, 1610 पुलिकट में. 1616 सूरत में 1641 में. विमिलिपट्टम में. 1645 में करिकल में, 1663 में चिनमुरा में. 1658 में कासिम बाजार, पटना, बालासीर व नागापट्टम में तथा 1663 में कोचीन में डचों ने अपनी फैक्ट्रियों स्थापित की।

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