भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन और उनकी व्यापारिक स्थापना

  भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन 

ब्रिटिश (British)

●ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना 1600 ई. में एक निजी कम्पनी के रूप में हुई थी, जिसे 15 वर्षों के लिए व्यापारिक एकाधिकार मिला था। इस एकाधिकार को समय-समय पर बड़ाया जाता रहा, साथ ही साथ इस पर निरंतर ब्रिटिश सरकार का हस्तक्षेप भी बड़ता रहा।

●कम्पनी के संचालन हेतु एक प्रबंधकीय समिति थी जिसमें एक निर्देशक, एक उपनिदेशक तथा 24 सदस्य होते थे। इन सबका चुनाव व्यापारियों को आम सभा द्वारा होता था।


आगमन का उद्देश्य

●इस कम्पनी की स्थापना का उद्देश्य ब्रिटिश व्यापारियों के व्यापारिक हितों के हिसाब से अधिकाधिक लाभ की प्राप्ति करना था। व्यापारिक मदों में मुख्यतः ममाले थे पर जल्दी ही इसमें वस्त्र तथा अन्य उपयोगी वस्तुएँ शामिल हो गई. पान्तु आरम्भिक वर्षों में व्यापार का सन्तुलन भारत के हो पक्ष में रहा।

●अंग्रेजों ने 1608 ई. में सर्वप्रथम सुरत में व्यापारिक फैक्ट्री की स्थापना का प्रयास किया, जिसके लिए तत्कालीन ब्रिटिश सम्राट 'जेम्स प्रथम' ने अपने दूत विलियम हॉकिस को जहाँगीर के दरबार में अनुमति हेतु भेजा था। 

●विलियम हॉकिस ने 1609 में बादशाह जहाँगीर से अजमेर में मिलकर सूरत में बसने की आज्ञा मांगी। यहाँ के व्यापारियों और पुर्तगालियों द्वारा विरोध किया गया परिणामस्वरूप उसे स्वीकृति नहीं मिली। 

●हालांकि अंग्रेज कैप्टन मिडिलटन द्वारा स्वाल्ली में पुर्तगालियों के जहाजी बेड़े को हराए जाने से प्रभावित होकर जहाँगीर ने 1613 में फैक्ट्री स्थापित करने की स्वीकृति दे दी। 

●यह इस बात का संकेतक है कि ईस्ट इंडिया कम्पनी एक निजी कम्पनी थी, पर उसे यथासम्भव शासकीय सहयोग प्रारंभ से ही मिला। 

●1632 ई. के सुनहरा फरमान के तहत गोलकुण्डा के राजा ने 500 पैगोडा वार्षिक कर के बदले अग्रेजों को गोलकुण्डा राज्य के बंदरगाहों से व्यापार करने की अनुमति प्रदान की।

●1639 ई में अग्रेजों ने मद्रास में अपनी फैक्ट्री 'फोर्ट सेन्ट जार्ज' के नाम से बनाई। 1668 ई. में बम्बई को फैक्ट्री स्थापित हुई।

●1698 ई में कलकता की फैक्ट्री 'फोर्ट विलियम' नाम में ति हुई, जिसे प्रथम प्रेसीडेन्सों भी चलाया गया। इस प्रकार मदास, बम्बई ए कलकता में फैक्ट्री की स्थापना से तीनों महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ब्रिटिश कंपनी का प्रभाव हो गया। 

●1651 ई. में अग्रेजों ने अपनी फैक्ट्री हुगली में स्थापित की। 1651 है. में ही बंगाल के सूबेदार शाहशुजा ने 3000 रू. वार्षिक शुल्क के बदले बंगाल क्षेत्र में अंग्रेजों को मुक्त व्यापार करने की अनुमति दे दी।

●1698 ई. में 'फोर्ट विलियम' की स्थापना हुई. इस स्थल की प्राप्ति बंगाल के सूबेदार 'अजीमुश्शान' द्वारा सुतानाती, कोलकाता एवं गोविंदपुर नामक तीन गांवों की जमींदारी देने से मिली थी। जिसके पहले में अंग्रेज को 1200 रुपये देने थे।

●1717 ई में कम्पनी का एक मिशन जॉन सरमन को अध्यक्षता में फर्रुखसियर के दरवार में गया था जिसके पश्चात् एक शाही फरमान के तहत् 3000 वार्षिक शुल्क के बदले बंगाल क्षेत्र में मुक्त व्यापार करने का अधिकार दे दिया गया।

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