Current affairs 2024:बिहार की "विशेष श्रेणी के दर्जे की माँग के कारण
बिहार की "विशेष श्रेणी के दर्जे की माँग के कारण
• गरीबी और पिछड़ापनः
बिहार की गरीबी और पिछड़ापन के लिए प्राकृक्तिक संसाधनों की कमी, सिंचाई के लिए अपर्याप्त जल आपूर्ति, राज्य के उत्तरी भाग में लगातार बाढ़ और दक्षिणी भाग में गंभीर सूखे जैसे कारक जिम्मेदार हैं।
.राज्य विभाजन का प्रभावः
राज्य के विभाजन के परिणामस्वरूप उद्योग झारखंड चले गए, जिससे बिहार में रोजगार और निवेश के अवसरों में कमी आई।
.आर्थिक संकेतकः
वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए बिहार का प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद ₹31,280 था, जो भारत में सबसे कम में से एक है।
गरीबी का स्तरः
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)- 5 के अनुसार, बिहार भारत का सबसे गरीब राज्य है, जिसकी 33.76% आबादी बहुआयामी गरीबी में रहती है।
राज्य सरकार का संकल्पः
नवंबर 2023 में, बिहार मंत्रिमंडल नेएक प्रस्ताव/संकल्प पारित कर केंद्र सरकार से बिहार को विशेत राज्य का दर्जा देने का अनुरोध किया, जिससे सरकार को अगले राज्य क्यों में विभिन्न कल्याणकारी उपायों के वित्तपोषण के लिए आवश्यक अतिरिक्त 2.5 लाख करोड़ रुपये प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
क्या बिहार की माँग सही है?
• बिहार, विशेष श्रेणी के दर्जे (SCS) के लिए अधिकांश मानदों को पूरा करता है, सिवाय पहाड़ी इलाकों और भौगोलिक चुनौतियों के महत्वपूर्ण कारक के, जो बुनियादी अवसंरचना के विकास को प्रभावित करते हैं।
रघुराम राजन समिति (2013) ने बिहार को "अल्प विकश्चित श्रेणी" में रखा, जिसमें इसकी महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को रेखांकित किया।
समिति ने बिहार के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन को प्रभावी ढंग से दूर करने के लिए वैकल्पिक निधि आवंटन पद्धतियों की, खोज करने की सिफारिश की, जैसे कि SCS के बजाय धन आवंटित करने के लिए बहुआयामी सूचकांक ।
• विभिन्न अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बिहार जैसे गरीब राज्यों को धनराशि का आवंटन बढ़ाने से उनकी खराब नीतियों को प्रोत्साहन मिलेगा तथा बेहतर नीतियां अपनाने वाले अधिक
विकसित राज्यों को दंडित किया जाएगा। उनका मानना है कि बिहार को केंद्र से अधिक वित्तीय मदद की आवश्यकता नहीं है, बल्कि अपनी अर्थव्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु मजबूत कानून व्यवस्था की आवश्यकता है।
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