लिविंग विल (Living Will):सम्मानजनक मृत्यु के लिए दस्तावेज और इसकी प्रक्रिया
लिविंग विल (Living Will)
संदर्भ में
हाल ही में, बॉम्बे उच्च न्यायालय की गोवा पीठ में कार्यरत न्यायमूर्ति एम.एस. सोनक गोवा में "लिविंग विल" (जीवन वसीयत) पंजीकृत करने वाले पहले व्यक्ति बने।
लिविंग विल क्या है?
• लिविंग विल एक कानूनी दस्तावेज है जिसे व्यक्ति अपने जीवित रहते हुए बना सकता है, जिसमें वह भविष्य में गभीर रूप से बीमार होने पर चिकित्सा उपचार के लिए अपनी प्राथमिकताओं को रेखांकित करता है।
इसमें किसी के जीवित रहते या मृत्यु के बाद संपत्ति का निपटान शामिल नहीं होता है।
☆ यह अंतिम वसीयतनामा से भिन्न है जो कि व्यक्तियों की अपनी संपत्ति के संबंध में उनके इरादे की एक औपचारिक, कानूनी घोषणा है जिसे वे अपनी मृत्यु के बाद लागू कराना चाहते हैं।
☆ यह दस्तावेज़ उस स्थिति में प्रासंगिक हो जाता है जब व्यक्ति निष्क्रिय अवस्था (Vegetative state) में हो और चिकित्सा देखभाल के संबंध में अपनी इच्छा बताने में असमर्थ हो।
☆ निष्क्रिय अवस्था में व्यक्ति जागा तो रहता है, लेकिन उसमें जागरूकता के कोई लक्षण नहीं दिखते।
• मूलतः एक लिविंग विल व्यक्ति को यह सुनिश्चित करने का अधिकार देती है कि यदि वह स्वयं निर्णय लेने में असमर्थ हो तो भी वह सम्मानजनक मृत्यु प्राप्त कर सके। गोवा में लिविंग विल बनाने की प्रक्रिया
• दिशानिर्देशों के अनुसार, लिविंग विल बनाने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को एक विशिष्ट प्रारूप का पालन करना होगा और दो गवाहों के सामने इसका मसौदा तैयार करना होगा। प्रारूप तैयार करने के बाद इसे राजपलित अधिकारी या नोटरी द्वारा प्रमाणित कराना आवश्यक होता है।
• इसके बाद, इसे तालुका के मुख्य मामलतदार को भेजा जाना चाहिए, जो इसे जिला कलेक्टर द्वारा नामित नोडल अधिकारी को सुरक्षित रखने के लिए अग्रेषित करेगा।
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