लिविंग विल(Living Will): मुद्दे की पृष्ठभूमि
वर्ष 2018 में उच्चतम न्यायालय ने कॉमन कॉज बनाम भारत राध मामले में। निष्क्रिय इच्छामृत्यु को कानूनी बना दिया, लेकिन विशिष्ट शर्तों के तहत:
▪︎ यदि व्यक्ति बाद में स्वयं निर्णय नहीं ले सकता है तो उसके पास एक "लिविंग विल" होना आवश्यक है, जो एक लिखित दस्तावेज है जिसमे उसकी चिकित्सा संबंधी प्राथमिकताएं अंकित होती है।
इस निर्णय से, असाध्य बीमारी से ग्रस्त रोगियों जो स्थायी रूप से निष्क्रिय अवस्था में जा सकते हैं को लिविंग विल बनाने की मान्यता मिल गई।
वर्ष 2023 में उच्चतम न्यायालय ने न्यायिक दंशाधिकारियों की भागीदारी को हटाकर इच्छामृत्यु की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अपने फैसले को संशोधित किया।
▪︎ये दिशानिर्देश तब तक लागू रहेगे जब तक संसद इस विषय घर कानून नहीं बना देती।
गोवा पहला राज्य है जिसने कुछ हद तक उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के कार्यान्वयन को औपचारिक रूप दिया है।
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