विशेष श्रेणी का दर्जा (Special Category Status)

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विशेष श्रेणी का दर्जा (Special Category Status)


संदर्भ

2024 के लोकसभा चुनावों के बाद गठबंधन सरकार के गठन ने बिहार और आंध्र प्रदेश राज्यों के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग फिर से तेज़ हो गई है।


विशेष श्रेणी का दर्जा क्या होता है?

• यद्यपि संविधान में किसी भी राज्य को "विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त राज्य" के रूप में वर्गीकृत करने का प्रावधान नहीं है, फिर भी केंद्र सरकार ने इस तथ्य पर विचार करते हुए इस वर्गीकरण का सहारा लिया कि कुछ राज्य अन्य की तुलना में ऐतिहासिक रूप से पिछड़े हैं।


• "विशेष श्रेणी के राज्य" की अवधारणा पहली बार 1969 में पेश की गई थी, जब पाँचवें वित्त आयोग (1969-74) ने कुछ पिछड़े राज्यों को उनके विकास को तीव्र गति देने के लिए केंद्रीय सहायता और कर छूट के रूप में तरजीही व्यवहार प्रदान करने की मांग की थी।

• SCS के विचार को तब औपचारिक रूप दिया गया जब राष्ट्रीयविकास परिषद (NDC) ने अप्रैल 1969 में निधि आवंटन के गोंडगिल फॉर्मूले को मंजूरी दी।

• प्रारंभ में 1969 में तीन राज्यों असम, नागालैंड और जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया था।

• तथापि, कुछ राज्यों को भी राज्य का दर्जा मिलने पर विशेष दर्जा प्रदान किया गया, जैसे हिमाचल प्रदेश को 1970-71 में, मणिपुर, मेघालय और लिपुरा को 1971-72 में; सिक्किम को 1975-76 में; तथा अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम को 1986- 87 में तथा उत्तराखंड को 2001-02 में।


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