AI से चुनौतियां व आगे की राह (Current affairs)

 चुनौतियाँ


• AISI दिशा-निर्देशों की स्वैच्छिक प्रकृतिः

प्रस्तावित AISI मॉडल को स्व-नियमन के समान माना जा रहा है क्योंकि AI सिस्टम को लागू करने वाली कंपनियाँ यह तय कर सकती हैं किये मानक उनके लिए काम करते हैं या नहीं। चूंकि निजी क्षेत्र जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होता हैं, इसलिए AI विकास लोकतांत्रिक जाँच को दरकिनार कर सकता है और बहिष्कारपूर्ण और शोषणकारी बन सकता है।

• विनियामक का अभावः

 भारत में वर्तमान में AI के लिए कोई विनियामक नहीं है। हितधारकों द्वारा AISI के लिए स्पष्ट विनियामक भूमिका को अस्वीकार करने के कारण, यह कमी बनी हुई है।

• नौकरशाहीकरणः

 इसके विपरीत, कुछ क्षेत्रों से यह चिंता व्यक्त की जा रही है कि AISI प्रशासनिक अतिक्रमण का एक और साधन बन सकता है, जिससे नियमों और विनियमों के साथ AI परिदृश्य पर अत्यधिक बोझ पड़ सकता है।

• कमजोर डिजिटल बुनियादी ढाँचाः

 उद्योग जगत के लीडरों का लेकिन उसके पास डिजिटल बुनियादी ढाँचे का अभाव है जो AI कहना है कि भारत के पास पैमाना, डेटा और प्रतिभा तो है, की विशाल कम्प्यूटेशनल मांगों को पूरा कर सके।



आगे की राह

भारत के AISI

•प्रासंगिकताः

 भारत की AISI को वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त होनी चाहिए, लेकिन स्थानीय रूप से संचालित होना चाहिए। उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ और चीन में प्रस्तावित विनियामक नियंत्रण भारत के लिए पूरी तरह से उपयुक्त नहीं हो सकते हैं, क्योंकि वर्तमान में व्यवसायों, सरकारों और व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र के बीच सक्रिय सूचना साझा करने की आवश्यकता है।

• हव-एंड-स्पोक मॉडल: 

भारत को वहु-हितधारक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें AISI केन्द्रीय हब के रूप में कार्य करे तथा समग्र एजेंडा को आगे बढ़ाए, तथा अन्य हितधारक इसके

• सामाजिक-तकनीकी समाधानः

 AISI को इस मान्यता पर आधारित होना चाहिए कि AI सुरक्षा एक सामाजिक-तकनीकी चुनौती है। तकनीकी विशेषज्ञों और सामाजिक भागीदारों के बीच अंतःविषय सहयोग भारत को AI सुरक्षा ढाँचे को विकसित करने में अग्रणी बनाने में सक्षम बनाएगा जो न केवल तकनीकी रूप से मजबूत बल्कि सामाजिक रूप से प्रासंगिक और समावेशी भी होगा।


भारत में AI सुरक्षा

• साइबर खतरा विनियमनः

 भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद (DSCI) ने 2025 में AI-संचालित और IoT साइबर हमलों में वृद्धि की भविष्यवाणी की है। यह महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

• व्यापक AI विनियमन ढांचाः

 भारत में AI के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए एक बुनियादी नियामक व्यवस्था की आवश्यकता है। इसमें "रोकथाम", "अनुमति" और "प्रचार" के बीच एक अच्छा संतुलन बनाना चाहिए ताकि AI विकसित हो सके और अनपेक्षित परिणाम कम हो सकें।

• AI उपयोग मामलों का वर्गीकरणः

 AI उपयोग मामलों को उनके जोखिम स्तरों के आधार पर वर्गीकृत किया जाना चाहिए और तदनुसार विनियमित किया जाना चाहिए। इससे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उचित सुरक्षा उपायों को लागू करने में मदद मिलेगी।

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